आज के इस पोस्ट में हम आपको गांधी जयंती पर कविता और poem for gandhi jayanti आदि की जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, तेलगु, बांग्ला, गुजराती, तमिल आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल में गाँधी जयंती के लिए प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये कविता खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

Contents
महात्मा गांधी जयंती पर कविता
भारतमाता, अंधियारे की,
काली चादर में लिपटी थी।
पराधीनता की बेड़ी,
उनके पैरों से, चिपटी थी।था हृदय दग्ध, धू-धू करके,
उसमें, ज्वालाएं उठती थीं।
भारत मां के, पवित्र तन पर,
गोरों की फौजें, पलती थीं।गुजरात राज्य का, एक शहर,
है जिसका नाम पोरबंदर।
उस घर में उनका जन्म हुआ,
था चमन हमारा धन्य हुआ।दुबला-पतला, छोटा मोहन,
पढ़-लिखकर, वीर जवान बना।
था सत्य, अहिंसा, देशप्रेम,
उसकी रग-रग में, भिदा-सना।
उसके इक-इक आवाहन पर,
सौ-सौ जन दौड़े आते थे।
सत्य-अहिंसा दो शब्दों के,
अद्भुत अस्त्र उठाते थे।गोरों की, काली करतूतें,
जलियावाले बागों का गम।
रह लिए गुलाम, बहुत दिन तक,
अब नहीं गुलाम रहेंगे हम।जुलहे, निलहे, खेतिहर तक,
गांधी के पीछे आए थे।
डांडी, समुद्र तट पर आकर,
सब अपना नमक बनाए थे।
भारत छोड़ो, भारत छोड़ो,
हर ओर, यही स्वर उठता था।
भारत के, कोने-कोने से,
गांधी का नाम, उछलता था।वह मौन, ‘सत्य का आग्रह’ था,
जिसमें हिंसा, और रक्त नहीं।
मानवता के, अधिकारों की,
थी बात, शांति से कही गई।गोलों, तोपों, बंदूकों को,
चुप सीने पर, सहते जाना।
अपने सशस्त्र दुश्मन पर भी,
बढ़कर आघात नहीं करना।सच की, ताकत के आगे थी,
तोपों की हिम्मत हार रही।
सच की ताकत के, आगे थी,
गोरों की सत्ता, कांप रही।हट गया ब्रिटिश ध्वज अब फिर से,
आजाद तिरंगा लहराया।
अत्याचारों का, अंत हुआ,
गांधी का भारत हर्षाया।
बापू पर कविता
आइये अब हम आपको 2 october mahatma gandhi jayanti poem in hindi language,गांधी जयंती पर पोएम इन हिंदी में,किसी भी भाषा जैसे Hindi, हिंदी फॉण्ट, मराठी, गुजराती, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language व Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection जिसे आप अपने स्कूल व सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|
जिसको पाकर मुक्त हुआ था, भारतमाता का उपवन।
आओ आज सुनाएं तुमको, बापू का निर्मल जीवन।।
अठ्ठारह सौ उनहत्तर में, अक्टूबर महीना आया।
तभी हुलसकर पुतली माता ने, प्यारा बेटा जाया।।पोरबंदर, दीवान करमचंद के, घर में खुशियां छाईं।
नित्य नए आनंद और फिर, पढ़ने की बेला आई।।उम्र अभी छोटी ही थी पर, पिता स्वर्ग सिधार गए।
करके मैट्रिक पास यहां, फिर मोहन भी इंग्लैंड गए।।
पढ़-लिख मोहन हो गए, बुद्धिवान-गुणवान।
ज्ञानवान, कर्तव्य प्रिय, रखे आत्मसम्मान।।जिसको पाकर……………………………………….।।1।।
दक्षिण अफ्रीका में लड़ने को, एक मुकदमा था आया।
पगड़ी धारण करके गांधी, उस वक्त अदालत में आया।।कितनी उंगली उठीं कोई, गांधी को न झुका पाया।
मैं भारतवासी हूं, संस्कृति का, मान मुझे प्यारा।।
थे रोज देखते, कालों का, अपमान वहां होता रहता।
यह देख-देखकर मोहन का मन, जार-जार रोता रहता।।तभी एक दिन ठान ली, दूर करूं अन्याय।
चाहे कुछ करना पड़े, दिलवाऊंगा न्याय।।जिसको पाकर……………………………………….।।2।।
कितने ही आंदोलन करके, गांधी ने बात बढ़ाई थी।
जितने भी काले रहते थे, उन सबकी शान बढ़ाई थी।।
फिर भारत में वापस आकर, वे राजनीति में कूद पड़े।
प्रथम युद्ध में, शामिल होकर अंग्रेजों के साथ रहे।।अंग्रेजों का यह कहना था, यदि विजय उन्हें ही मिल जाए।
तो भारत को आजाद करें, और अपने वतन पलट जाएं।।लेकिन हमको क्या मिला, जलियांवाला कांड।
सुनकर के जिसकी व्यथा, कांप उठा ब्राह्मण।।जिसको पाकर……………………………………….।।3।।
नमक और भारत छोड़ो आंदोलन को, फिर अपनाया।
फिर शामिल होकर गोलमेज में, भारत का हक बतलाया।।भारत छोड़ो का नारा अब, घर-घर से उठता आता था।
इस नारे को सुन-सुनकर अब, अंग्रेज राज थर्राता था।।सारे नेता जेलों में थे, कर आजादी का गान रहे।
हो प्राण निछावर अपने पर, इस मातृभूमि का मान रहे।।देख यहां की स्थिति, समझ गए अंग्रेज।
यह फूलों की है नहीं, यह कांटों की सेज।।जिसको पाकर……………………………………….।।4।।
पन्द्रह अगस्त सैंतालीस को, भारत प्यारा आजाद हुआ।
दो टुकड़ों में बंट गया, यही सुख-दु:ख पाया था मिला-जुला।।दंगे-फसाद थे शुरू हुए, हर गली-गांव कुरुक्षेत्र हुआ।
गांधी बाबा ने अनशन कर, निज प्राण दांव पर लगा दिया।।
फिर 30 जनवरी आई वह, छ: बजे शाम की बात रही।
प्रार्थना सभा में जाते थे, बापू को गोली वहीं लगी।।डूबे सारे शोक में, गांधी महाप्रयाण।
धरती पर सब कर रहे, बापू का गुणगान।।जिसको पाकर……………………………………….।।5।।
महात्मा गांधी जयंती पर कविता
जन्मदिवस बापू का आया
जन्मदिवस बापू का आया
सारे जग ने शीश नवायायह जीवन की शिक्षा का दिन
पावन आत्मपरीक्षा का दिन
मानवता की इच्छा का दिन
जगती का कण-कण हर्षाया
जन्मदिवस बापू का आयाजिसने खुशियाँ दी जीवन को
कोटि-कोटि दलित जनों को
सरल कर दिया जीवन रण को
ऊँच-नीच का भेद मिटाया
जन्मदिवस बापू का आया
जन्मदिवस बापू का आयासत्य प्रेम का पथ अपना कर
क्षमा, कर्म के भाव जगा कर
स्वर्ग उतारा था वसुधा पर
युग का था अभिशाप मिटाया
जन्मदिवस बापू का आयाआज तुम्हारी मीठी वाणी
गूँज रही जानी पहचानी
अमर हुए तुम जीवन-दानी
घर-घर नव प्रकाश लहराया
जन्मदिवस बापू का आयातुमने अपना आप गँवाकर
दानवता के बाग़ मिटाकर
सबके आगे माथ झुकाकर
मानवता का मान बढाया
जन्मदिवस बापू का आया
महात्मा गांधी पर एक कविता
भारत के सम्मान है गाँधी।
इस युग कि पहचान हैं गाँधी।चौराहों पर खड़े है गाँधी।
मैदानो के नाम है गाँधी।दीवारों पर टंगे है गाँधी।
पढने -पढ़ाने में है गाँधी।राजनीति में भी है गाँधी।
मज़बूरी का नाम हैगाँधी।टोपी कि एक ब्रांड है गाँधी।
वोट में गांधी ,नोट में गाँधी।अगर नहीं मिलते तो वह है।
जनमानस की सोच में गांधी।
महात्मा गांधी जयंती पर कविता
जय हो जय हो गया गया गया ते जय हो
आपण आम्हाला जे काही दिले ते शिकवले
नेहमी विजय मिळवाधर्म
वर्कशिप
मुक्त जीवन
देवावर श्रद्धा हे निरोगी हृदय आहे
नक्कीच होखरे सनातन नाथ्य प्रचार
शुभ काम बद्दल तथ्य
खाजगी मनासाठी दोष सुधारणे
सर्व आत्मनिर्भर पाप करा
च्या पळवाटउच्च वाढीची किंमत
एकूण वेतन एकूण रोकथाम
समता भावा समाज प्रचार
सद्गुणांचे ध्येय हे आपले नवीन वय आहे
अभिनय करास्वत: ची शक्ती विस्तृत करा
संपत्ती वितरित करा
आश्रय विश्वास ठेवा
दररोज सकाळी सर्व राष्ट्रांसह विवेक करा
संचयित करा