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भ्रष्टाचार निवारण पर कविता- Corruption Poem in Hindi- भ्रष्टाचार हास्य कविता

November 26, 2019 by Miraj Khan Leave a Comment

Corruption Poem in Hindi- किसी भी देश के विकास के रास्ते में उस देश की समस्याएं बहुत ही बड़ी बाधाएं होती हैं। इन सभी समस्याओं में सबसे प्रमुख समस्या है भ्रष्टाचार की समस्या। जिस राष्ट्र या समाज में भ्रष्टाचार का दीमक लग जाता है वह समाज रूपी वृक्ष अंदर से बिलकुल खाली हो जाता है और उस समाज व राष्ट्र का भविष्य अंधकार से घिर जाता है। यह समस्या बहुत बड़ी हैं और भारत सरकार आज भी इस समस्या से निजाद नहीं पा पाई हैं|इसी को देखते हुए आज हम आपको पेश कर रहे है ! भ्रष्टाचार पर कविता, Corruption Poem in Hindi, भ्रष्टाचार पर hasya कविता, भ्रष्टाचार निवारण पर कविता आदि जिसके बारे में जानने के लिए आप हमारी इस पोस्ट को पढ़ सकते है और इसके बारे में अधिक जानकारी पा सकते है |


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Contents

  • 1 भ्रष्टाचार पर कविता
  • 2 भ्रष्टाचार पर hasya कविता
  • 3 Bhrashtachar Poem in Hindi 
  • 4 भ्रष्टाचार पर कविता शायरी
  • 5 भ्रष्टाचार निवारण पर कविता
  • 6 राजनीतिक भ्रष्टाचार पर कविता
  • 7 Corruption Poem in Hindi
  • 8 भ्रष्टाचार पर हिन्दी कविता
  • 9 भ्रष्टाचार उन्मूलन पर कविता
  • 10 भ्रष्टाचार पर एक कविता
  • 11 भ्रष्टाचार पर छोटी कविता
  • 12 भ्रष्टाचार कविता मराठी
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भ्रष्टाचार पर कविता


भ्रष्टाचारी ने ईमानदार को फटकारा
‘‘क्या पुराने जन्म के पापों का फल पा रहे हो,
बिना ऊपरी कमाई के जीवन गंवा रहे हो,
अरे
इसी जन्म में ही कोई अच्छा काम करते,
दान दक्षिणा दूसरों को देकर
अपनी जेब भरने का काम भी करते,
लोग मुझे तुम्हारा दोस्त कहकर शरमाते हैं,
तुम्हारे बुरे हालात सभी जगह बताते हैं,
सच कहता हूं
तुम पर बहुत तरस आता है।’’
ईमानदार ने कहा
‘‘सच कहता हूं इसमें मेरा कोई दोष नहीं है,
घर में भी कोई इस बात पर कम रोष नहीं है,
जगह ऐसी मिली है
जहां कोई पैसा देने नहीं आता,
बस फाईलों का ढेर सामने बैठकर सताता,
ठोकपीटकर बनाया किस्मत ने ईमानदार,
वरना दौलत का बन जाता इजारेदार,
एक बात तुम्हारी बात सही है,
पुराने जन्म के पापों का फल है
अपनी ईमानदारी की बनी बही है,
यही तर्क अपनी दुर्भाग्य का समझ में आता है |


भ्रष्टाचार पर hasya कविता


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इसमें जाकर भाषण करूंगा,
अपने ही समर्थकों में नया जोशा भरूंगा,
अपने किसी दानदाता का नाम
कोई थोडे ही वहां लूंगा,
बस, हवा में ही खींचकर शब्द बम दूंगा,
इस आधुनिक लोकतंत्र में
मेरे जैसे ही लोग पलते हैं,
जो आंदोलन के पेशे में ढलते हैं,
भ्रष्टाचार का विरोध सुनकर
तुम क्यों घबड़ाती हो,
इस बार मॉल में शापिंग के समय
तुम्हारे पर्स मे ज्यादा रकम होगी
जो तुम साथ ले जाती हो,
इस देश में भ्रष्टाचार
बन गया है शिष्टाचार,
जैसे वह बढ़ेगा,
उसके विरोध के साथ ही
अपना कमीशन भी चढ़ेगा,
आधुनिक लोकतंत्र में
आंदोलन होते मैच की तरह
एक दूसरे को गिरायेगा,
दूसरा उसको हिलायेगा,
अपनी समाज सेवा का धंधा ऐसा है
जिस पर रहेगी हमेशा दौलत की छाया।


Bhrashtachar Poem in Hindi 


अस्पताल हो या शमशान हर जगह लगती है कमीशन.
बैंको से चाहिए लोन या लगाना हो टेलीफोन,
बच सका है इससे कौन ?
खेलों में फिक्सिंग या रेलों में टिकटिंग,
हर जगह है सेटिंग.
एग्जामिनेशन हो या इलेक्शन,
हर तरफ है करप्शन.
डाला है इसने मजबूरी का फंदा,
जिससे परेशान है हर बन्दा,
जिसने जीवन में ज़हर घोल डाला,
इंसान की फिरत ही बदल डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला .
जिसने समाज का बेड़ा गर्क कर डाला
हमीने उसे पला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल – बाला |


भ्रष्टाचार पर कविता शायरी


व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
मुनाफाखोरी की बीमारी लगी सभी को
महंगाई से जनता त्रस्त हो गई तभी तो
न्याय मिलने में देरी हो रही है
राष्ट्रिय संपत्ति चोरी हो रही है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
सडको का हाल बेहाल है
दूर दूर तक न कोई अस्पताल है
सरकार आँखे मूंदे बैठी है
चोरो का अड्डा तो पुलिस चौकी है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
नौकरशाही सब पे भारी है
हर एक को रिश्वतखोरी की बीमारी है
भ्रष्ट लोगो के खिलाफ जो आवाज़ उठाता है
बहुत जल्दी ही आवाज़ दबा दिया जाता है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है


भ्रष्टाचार निवारण पर कविता


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कहां जाता था देश को मेरे सोने की चिड़िया
एक दूजे पर जान छिड़क कर बीती जाती की घड़ियां
जिनके त्याग तपस्या की गाई जाती थी यशोगाथा
कुर्बानी देकर महकाई जिन्होंने भारत माता
चंद्रशेखर,सुभाषचंद्र बोस, गांधी जैसे थे वे शुर वीर
चमन के लिए अंग्रेजों के सामने न झुकाया अपना सिर
पर आज के हमारे नेता कर रहे हैं करोड़ों का घोटाला
गरीबों का खून पसीना एककर समेट रहे हैं खुद का झोला
ऐसे मक्कारों और गद्दारों की नहीं चलेगी मनमानी
अपने वतन की आबरु कैसे नहीं पहचानी
संकल्प यही करेंगे बढ़ाएंगे अपना आत्म सम्मान
अमन के दुश्मनों का मिटा देंगे हम नामो निशान।


राजनीतिक भ्रष्टाचार पर कविता


ईमानदारी की कमाई दिल को रास नहीं आती
तारों की चमक से प्रकाश नहीं मिलती
किसी संस्था से , मोटा न लिया हो चंदा
धरती पर आकर भी व्यर्थ है वो बंदा
न लिया कभी घूस , न क्या है घोटाला
न मारा है तमाचा कोई लाल फीते वाला
वह दूकानदार क्या जिसने डंडी न मारी
सड़े माल अपने सेल पे लगायी
वह नेता ही क्या जिसने दादागिरी न दिखाई
सरकार के खजाने से फॉरेन ट्रिप न लगायी
लाल फीता सही क्या लाल बत्ती न जलाएंगे
अपनी औकात का बिगुल न बजायेंगे
सीधा साधा इंसान का यहाँ कुछ काम नहीं
परिश्रम से कमाना यहाँ कुछ नाम नहीं |


Corruption Poem in Hindi


मानव को मानव पर से विश्वास उठ गया हो जैसे
आपस के रिश्तो से प्रेम उठ गया हो जैसी
चारों तरफ वैचारिक अन्धकार फ़ैल गया है
हर कोई इस पर विचार कर रहा है
क्योंकि मानव ने सीखा है एक नया विचार – भ्रस्टाचार
भ्रस्टाचार …भ्रस्टाचार ….चारों तरफ है भ्रस्टाचार
सच्चाई का आधार लुप्त हो गया हो जैसे
झूठे और फ़रेबियो का जाल फ़ैल गया हो जैसे
मेहनत करने वाले कर रहे है हाहाकार
सच्चे लोगो का तो जैसे हुआ है बुरा हाल
क्योंकि मानव ने सीखा है एक नया विचार – भ्रस्टाचार
भ्रस्टाचार …भ्रस्टाचार ….चारों तरफ है भ्रस्टाचार
चकाचौंध की दुनिया आडम्बर भरा हो जैसे
शिष्टाचार की हमने तिलांजलि दे दी हो जैसे
सुनता था हमेसा वो अपने दिल की आवाज
परन्तु आजकल छेड़ा है नया साज
क्योंकि मानव ने सीखा है एक नया विचार – भ्रस्टाचार
भ्रस्टाचार …भ्रस्टाचार ….चारों तरफ है भ्रस्टाचार |


भ्रष्टाचार पर हिन्दी कविता


माता पिता ने पढ़ा लिखाकर , तुमको अफसर बना दिया..
आज देखकर लगता है की , सबसे बड़ा एक गुनाह किया..
रिश्वत लेने से अच्छा था , भिक्षा लेकर जी लेते..
मुह खोलकर मांगे पैसे , बेहतर होंठ तुम सी लेते..!!
लाखों का धन है तो भी , क्यों आज भिखारी बन बैठे..
काले धन की पूजा करके , जाने केसे तन बैठे..
भूल गए , बचपन में तुम भी, खिलौना देख रो देते थे..
आज कैसे , उन नन्हे हाथों से , खेलने का हक़ ले बैठे..!!
एक आदमी पेट काट कर , अपना घर चलाता है..
खून पसीना बहा बहा कर , मेहनत की रोटी खाता है..
खुद भूका सो जाये पर , बच्चो की रोटी लाता है..
तू उनसे छीन निवाला , जाने कैसे जी पता है |


भ्रष्टाचार उन्मूलन पर कविता


ये चिंता नहीं चिताएँ हैं .
देश में अनेक समस्याएँ हैं.
जिसका मुँह काला और कैरेक्टर है ढीला -ढाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला.
जिसने देश का निकाला दिवाला,
सिस्टम को हिला डाला,
छीना जिसने मुँह से निवाला,
ईमान की नीव हिला डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला.
बर्थ या डेथ सर्टिफिकेट हो बनाना,
चलता नहीं कोई बहाना,
पड़ता है ज़्यादा कीमत चुकाना,
दफ्तर में चाहिए प्रमोशन या स्कूलों में एड्मिशन ,
तो देनी होगी डोनेशन.
अस्पताल हो या शमशान हर जगह लगती है कमीशन.
बैंको से चाहिए लोन या लगाना हो टेलीफोन,
बच सका है इससे कौन ?
खेलों में फिक्सिंग या रेलों में टिकटिंग,
हर जगह है सेटिंग.
एग्जामिनेशन हो या इलेक्शन,
हर तरफ है करप्शन.
डाला है इसने मजबूरी का फंदा,
जिससे परेशान है हर बन्दा,
जिसने जीवन में ज़हर घोल डाला,
इंसान की फिरत ही बदल डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला .
जिसने समाज का बेड़ा गर्क कर डाला
हमीने उसे पला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल – बाला |


भ्रष्टाचार पर एक कविता


कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
प्रगति की राह में बढ़ता चला जायेगा
महंगाई भी स्थिर हो जायेगा
सबको रोजगार भी मिल जायेगा
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
कही से भी न ऋण लेना होगा
किसी को न टैक्स देना होगा
आधारभूत संरचना होगी मजबूत
मिलेगा जो हमें धन अकूत
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
निर्यात फिर बढ़ने लगेगा
आयात भी घटने लगेगा
फिर न रहेगा कोई गरीब
हर हाथ को काम होगा नसीब
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा
सड़के हमारी भी चमकेंगी
आईने की तरह झलकेंगी
भुखमरी से न होगी मौत
संसाधनों का होगा भरपूर उपयोग
कालाधन अगर वापस आएगा
तो देश फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा |


भ्रष्टाचार पर छोटी कविता


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सत्ता का हमराज है
वह तो भ्रष्टाचार है
भीड़तंत्र के पन्नों में
उसका ही गुणगान है।
सांसद हो या विधायक
उसमें ही निर्लिप्त है
नित दिन उसका डंका बजता
उसका राग विशिष्ट है।
अपरिमित, अमिट प्रताप की
उसकी अजब कहानी है
अधिकारी हो या कर्मचारी
सब उसके आजारी हैं।
समाजवादी हो या गांधीवादी
सब देते उसे सलामी है
दुनिया के हर कोने में
वह निडर, निर्भीक स्वाभिमानी है
भ्रष्टाचार के यह सब रंग देख
बोले सब ऋषि ज्ञानी
जय हो तुम्हारी देव सदा
तुम तो हो हम पर भी भारी।


भ्रष्टाचार कविता मराठी


या चिंता काळजी करू नका.
देशातील अनेक समस्या आहेत.
कोणाचे चेहरे काळे आहे आणि अक्षर तुटलेला आहे –
त्या कॉर्पसचे प्रत्येक कॉर्पस
देशाची दिवाळखोरी कोणी घेतली,
प्रणाली शेक,
चिन्ना, ज्याचे तोंड उघडले होते,
विश्वासाच्या खालच्या बाजूचे अनुकरण करा,
त्या कॉर्पसचे प्रत्येक कॉर्पस
बर्थ किंवा डेथ सर्टिफिकेट तयार करण्यासाठी,
कोणतीही सांगण्या करू नका,
जास्त किंमत देते,
शाळांमध्ये जाहिरात किंवा शाळांमध्ये प्रवेश असणे आवश्यक आहे,
मग देणगी दिली जाईल |


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